मध्य प्रदेश

सोलर ऊर्जा एवं ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाकर कम किया जा सकता है कार्बन फुटप्रिंट

भोपाल

एनर्जी स्वराज्य मिशन के ऊर्जा विशेषज्ञ प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने सोलर एनर्जी के उपयोग को जन आंदोलन बनाने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश कर रही है। यह दशक तय करेगा कि पृथ्वी के समक्ष मौजूदा संकटों और चुनौतियों से निपटने में हम कितने समर्थ हो पाएँगे। ग्लोबल वार्मिंग-जलवायु परिवर्तन रोकना पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि परंपरागत ईंधनों के अंधाधुंध उपयोग और औद्योगिक गतिविधियों के कारण कार्बन उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेरिस समझौते के अंतर्गत तमाम कामों के बावजूद हमारा कार्बन फुटप्रिंट कम नहीं हुआ है। कार्बन के इस बोझ को ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाकर कम किया जा सकता है। इस संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऊर्जा का स्त्रोत सोलर एनर्जी है। सोलर एनर्जी के बढ़ावे से बहुत हद तक प्रकारांतर से कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है। प्रोफेसर सोलंकी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय स्थित पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रेनिंग सेन्टर में ‘‘सोलर एनर्जी और पर्यावरण‘‘ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इस अवसर पर मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक विशेष गढ़पाले एवं बिजली इंजीनियर मौजूद थे। प्रोफेसर सोलंकी आई.आई.टी. मुंबई में प्रोफेसर हैं। राज्य सरकार इन्हें मध्यप्रदेश में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में ब्रांड एम्बेसेडर नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से भी कम होना चाहिए। देश में 40 फीसदी वन क्षेत्र कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना होगा ताकि पर्यावरण को सुधारा जा सके। प्रो. सोलंकी ने बताया कि खरगौन में सोलर काम्प्लेक्स बनाया गया है। यहां प्रकाश से लेकर सभी कार्य सौर ऊर्जा से हो रहे हैं। उन्होंने ऊर्जा दक्ष उपकरणों एवं 5 स्टार रेटिंग उपकरणों के उपयोग की सलाह दी। प्रोफेसर सोलंकी ने मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश एवं सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए जनसहयोग का आव्हान किया। इस अवसर पर एनर्जी स्वराज्य की टीम मेम्बर सुअभिलाषा सिंह और अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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